Welcome to Real Ghost Stories(भूतो की कहानियाँ )
Mano Ya Na Mano Release on dated 23rd August 2012, Real Ghost Stories (भूतो की कहानियाँ )Mano Ya Na Mano providing a fresh source of first hand images,information,and research into the world of the paranormal,it contains an ever growing collection of first hand, true ghost stories, classic photographs and images.

Real Ghost Stories – The Devil and his demons, ghosts, vampires, ghouls, evil human and animal spirits all walk the Earth freely to this very day. The reports by psychics and common people from all corners of the planet are unanimous—Ghosts are real. Some of them are evil, cunning, and manipulative while others are benign.

Do YOU believe in Ghosts? Do you think we, the believers, are weird or strange? Read on and you might just assent to our belief.

We, the people who believe, know there are many unsolved mysteries in this world. Those who don't believe say there are no such things as ghosts, spirits, demons, vampires, haunting, and so on, but rather strangely, will likely never agree to sleep alone in a graveyard at night. And some are even paranoid of the dark. What gives?

Well, I hope you will give me and my fellow believers a chance to convince you about the "cosmic unknown".

Since you are still here, good, at least you are curious. Or maybe, there is more to your curiosity than you care to admit. Please share with us if you dare.


Anyway, I want to thank all those who have sent me their stories. There have been hundreds of stories, and I can't possibly edit them all in the near future, so I ask you to be patient and to keep sending your stories. Some of the stories may not be featured on this website but may end up in my upcoming post.

Vampire History - Part - II

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पैशाचिकी की धारणा सदियों से अस्तित्व में रही है; जैसे कि मैसोपोटामिया, हिब्रू, प्राचीन यूनानी और रोमन संस्कृतियों की कहानियों में दानवों और प्रेतात्माओं को आधुनिक पिशाचों का अगुआ माना जाता.हालांकि पिशाच जैसे प्राणियों के उद्भव की घटना इन प्राचीन सभ्यताओं में होने के बावजूद लोककथाओं के आधार पर इनकी सत्ता के बारे में आज हम जानते हैं कि पिशाचों की उत्पत्ति विशेष रूप से 18वीं सदी में दक्षिण-पूर्व यूरोप में हुई, जब उस क्षेत्र के जातीय समूहों के मौखिक परंपराओं को लिपिबद्ध और प्रकाशित किया गया. अधिकतर मामलों में पिशाचों को बुरे प्राणियों, आत्महत्या के शिकार या चुड़ैलों के भूत-प्रेत के रूप में माना गया लेकिन इतना सृजन अपकारी प्रेतात्माओं के द्वारा भी संभव है जिनके कब्जे में कोई लाश है या जिन्हें किसी पिशाच ने काट लिया है. ऐसी लोककथाओं में विश्वास इतना व्यापक हो गया कि कुछ क्षेत्रों में इसने सामूहिक उन्माद को जन्म दिया और पिशाच समझे जाने वाले लोगों को सार्वजनिक फांसी भी दी गई

लोककथात्मक पिशाच का एक निश्चित विवरण देना कठिन है, हालांकि यूरोपीय लोककथाओं में ऐसे अनेक तत्व हैं जो सर्व सामान्य हैं. पिशाचों के बारे में ऐसी रिपोर्ट थी कि वे आमतौर पर देखने में फूले हुए रक्ताभ या पीले बैंगनी अथवा काले रंग जैसे उनकी इन चारित्रिक विशेषताओं को अक्सर आजकल के रक्त पीने की घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. वास्तव में, अक्सर कफ़न में लिपटे या ताबूत में लेटे शव के नाक और मुंह से खून रिसता हुआ देखा गया और बायीं आंख को अक्सर खुला हुआ पाया गया. यह झीने पारदर्शी कफ़न में लिपटा हुआ कब्र में दफ़न, जिसके दांत, बाल और नाखून बड़े हो गए हो सकते थे, जबकि आमतौर पर ऐसे नुकीले दांत नहीं देखे जाते थे.

पिशाच की पहचान करना

पिशाच की पहचान के लिए अनेक व्यापक धर्मानुष्ठान आयोजित किये जाते थे.इसमें पिशाच के कब्र की पहचान करने का एक तरीका यह भी था कि एक कुंवारे लड़के को एक कुंवारी घोड़ी पर बिठाकर किसी कब्रगाह या गिरजा की जमीन से होकर गुजारा जाता था -- घोड़ा अगर कब्र के पास प्रश्नात्मक भंगिमा में अड़ गया तो समझ लिया जाता था कि कब्र में पिशाच है.  आम तौर पर एक काले घोड़े को उपयोग में लाया जाता था, हालांकि अल्बानिया में इसका सफ़ेद होना जरूरी था. किसी कब्र के ऊपर मिट्टी में अगर कोई सुराख़ दिखाई देती थी तो उसे पैशाचिकी होने का चिन्ह मान लिया जाता था.
जिन शवों को पिशाच समझ लिया जाता था वे आमतौर पर अपेक्षा से अधिक स्वस्थ और गोल मटोल दिखते थे और उनमें सड़न का कोई नामो-निशान भी नहीं दिखाई देता था. कुछ मामलों में जब संदेहास्पद कब्र खोले जाते थे, ग्रामीणों के विवरण के अनुसार शवों के पूरे चेहरे पर किसी शिकार के ताज़ा खून पाए जाते थे. मवेशियों, भेड़ों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों की मौत यह प्रमाणित करती है कि पिशाच किसी नियत निश्चित इलाके में ही सक्रिय रहते थे. लोककथाओं के पिशाच छोटे-मोटे भुतहा कार्यों के जरिए अपनी मौजूदगी का अहसास दिला सकते थे, जैसे कि छतों पर पत्थर फेंकना, घर के सामानों को अस्त-व्यस्त कर देना और सोते हुए लोगों पर दबाव डालना इत्यादि.

Vampire History - Part - I

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पिशाच वे प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर. हालांकि विशिष्ट रूप से इनका वर्णन मरे हुए किन्तु अलौकिक रूप से अनुप्राणित जीवों के रूप में किया गया, कुछ अप्रचलित परम्पराएं विश्वास करती थीं कि

पिशाच अक्सर अपने प्रियजनों से मिला करते थे और अपने जीवन-काल में जहां वे रहते थे वहां के पड़ोसियों के अनिष्ट अथवा उनकी मृत्यु के कारण बन जाते थे. वे कफ़न पहनते थे और उनके बारे में अक्सर यह कहा जाता था कि उनका चेहरा फूला हुआ और लाल या काला हुआ करता था. यह 19वीं सदी के शुरूआती दौर में आरंभ होने वले आधुनिक काल्पनिक पिशाचों के मरियल, कांतिहीन चित्रण से स्पष्ट रूप से भिन्न था. हालांकि पिशाचीय सत्ता अनेक संस्कृतियों में मिलती है फिर भी पिशाच शब्द 18वीं सदी के आरंभ तक लोकप्रिय नहीं हुआ था. पश्चिमी यूरोप में पिशाच के अंधविश्वास का एक अन्तःप्रवाह चला जैसे कि बाल्कन प्रदेशों एवं पूर्वी यूरोप, में जनश्रुतियों में पिशाच की लोककथाएं बार-बार दुहराई जाती रहीं जबकि स्थानीय अंचलों में लोग पिशाच को अलग-अलग नामों से जानते थे, जैसे कि सर्बिया में वैम्पिर (вампир), ग्रीस में राइकोलाकस (vrykolakas) तथा रोमानिया में स्ट्रिगोई (strigoi). यूरोप में पिशाच अंध-विश्वास के बढ़े हुए स्तर से जन उन्माद उत्पन्न हुआ और कुछ मामलों में शवों को दांव पर लगा दिया गया तथा लोगों पर पैशाचिकी का आरोप लगाया जाने लगा.

सन् 1819 में जॉन पोलिडोरी कृत रचना द वैम्पायर के प्रकाशन के साथ ही आधुनिक कथा-जगत में करिश्माई और कृत्रिम पिशाच का आविर्भाव हुआ. यह कहानी काफी सफल रही और 19वीं सदी के आरंभ में निर्विवादित रूप से पिशाच पर सबसे सफल प्रभावशाली रचना मानी गई. हालांकि ब्रैम स्टोकर के सन् 1897 में प्रकाशित उपन्यास ड्रैकुला को सर्वोत्तम उपन्यास के रूप में याद किया जाता है जिसने पिशाच कथा-साहित्य की पृष्ठभूमि तैयार की. इस पुस्तक की सफलता ने पुस्तकों, फिल्मों, वीडियो गेम्स और टेलीविज़न शो के जरिए एक विशिष्ट पिशाच शैली को जन्म दिया जो 21वीं सदी में अब भी लोकप्रिय है.अपनी विशिष्ट संत्रास (भय) की शैली में पिशाच एक प्रभावशाली चरित्र है.

Zombie Vampire

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A zombie vampire is a vampire who lost his powers and is dying. The zombie vampire is punished by the other vampires for some serious transgressions.
For this Zombie vampire, time is running out fast ...

Flying Vampire

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A flying vampire rises high across the sky, hovering and searching for his prey with his eagle-like eyes.
The flying vampire is a special breed that needs more than blood for sustenance. It needs flesh as well.

Seductive Vampire

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The seductive vampire is ready for some action and she will now go get some prey because her blood thirst has been awakened.
This vampire will use her charms and looks until the moment her prey is at their weakest and then she will strike with her fangs.

Cute Vampire

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A cute vampire is a tricky vampire, for she pretends to be an innocent, rather shy girl who could not harm anyone.
Don't be fooled by the cute vampire. Sooner or later, she will reveal her true self and if you are not prepared, it may be too late!

Bloody Vampire

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When the vampire got hungry, he had to quench his blood thirst without much delay.
The night was just starting and he got lucky with fresh prey... now the bloody vampire is a satisfied vampire, until he has to hunt yet again.

वैम्‍पायर्स यानी पिशाच का अड्डा हाईगेट कब्रिस्‍तान

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भूत, रूह या आत्‍मा का कोई एक ठिकाना निश्‍चीत नहीं किया जा सकता है। लेकिन दुनिया भर में कुछ ऐसी जगहें होती है, जिसे ये रूहें और आत्‍मा अपना ठिकाना बना लेती है। अभी तक आपने पुरानी इमारतों, और जहाजों पर रूहों के कब्‍जे के बारें में पढ़ा आज हम आपकों एक ऐसी कब्रिस्‍तान के बारें में बताऐंगे जहां पर वैम्‍पायरों का राज है। एक ऐसा कब्रिस्‍तान जिसे मौत के बाद मूर्दो को गहरी नींद में सोने के लिए बनाया गया लेकिन जो बन गया है वैम्‍पायर्स यानी पिशाच का अड्डा।

हम बात कर रहे है। लंदन के हाईगेट कब्रिस्‍तान की। इस कब्रिस्‍तान में बहुत से लोगों ने वैम्‍पायर्स को देखा है जो कि आये दिन इस कब्रिस्‍तान में घुमते रहते है। अभी तक वैम्‍पायर्स के बारें में दुनिया भर में केवल अटकलें ही लगायी जाती है। लेकिन इस कब्रिस्‍तान में कई बार लोगों ने मौत के इन राक्षसों को महसूस किया है। आप खुद ही महसूस कर सकते है कि कोई भी ऐसी जगह जहां आप अकेले हो और कोई ऐसा साया जो आपके आस पास ही किसी मूर्दे के शरीर से खून पी रहा हो तो कैसा महसूस होगा।

वैसे भी दुनिया भर में कब्रिस्‍तान का नाम सुनकर लोगों को भूत, प्रेत, और आत्‍माओं का ख्‍याल आ जाता है। कब्रिस्‍तान के बारें में बहुत से लोग यही मानते है कि वहां पर रूहो का होना लाजमी है। ये सच है क्‍योंकि रूहों का वास वहीं सबसे ज्‍यादा होता है जहां उसके साथ कोई हादसा हुआ हो या जहां उसका शरीर हो। लेकिन ये रूहे भी कभी किसी को परेशान नहीं करना चाहती है। ये भी अपनी दुनिया में अलग तरह से विचरण करती रहती है। आईऐ आज लंदन के उस कब्रिस्‍तान की सैर करें।

हाईगेट कब्रिस्‍तान का इतिहास

हाईगेट कब्रिस्‍तान उत्‍तरी लंदन में बनाया गया एक कब्रिस्‍तान है। यह काफी बड़ा और विशाल है। इस कब्रिस्‍तान में कई गेट है। दुनिया भर में सबसे बडे कब्रिस्‍तान के अलांवा यह कार्ल मार्क्‍स की कब्र के लिए भी दुनिया भर में विख्‍यात है। इस कब्रिस्‍तान को सन 1839 में शुरू किया गया था। उस समय लंदन एक विचित्र संकट से जुझ रहा था।

लंदन में उस समय मृत्‍यु दर ज्‍यादा दी और आये दिनों लोगों की भारी संख्‍या में मौत हो रह‍ी थी। लोगों की हो रही लगातार मौतों के बावजूद भी लंदन में उन्‍हे दफनाने के लिए कोई जगह नहीं बची थी। इसी समस्‍या से उबरने के लिए लंदन के उत्‍तरी छोर में इस हाईगेट कब्रिस्‍तान का निर्माण किया गया। इस कब्रिस्‍तान के निर्माण के पहले जगह की किल्‍लत के चलते लोग मूर्दो को अपने घर के आस पास ही गलियसारों में दफन कर दे रहे थे जो कि बहुत ही भयावह स्‍ि‍थती थी। रास्‍तों में दफन मूर्दो से भयानक बदबू आती थी। इस समस्‍या से उबरने के लिए अधिकारियों ने इस कब्रिस्‍तान का निर्माण कराया था।
हाईगेट की संरचना और आकार

हाईगेट उस समय दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित कब्रगाह था। यह कब्रिस्‍तान 37 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और उत्‍तरी लंदन के बीचों बीच बनाया गया है। इस कब्रिस्‍तान में एक घंटा घर और ट्यूडर शैली का प्रयोग किया गया है। इसकी इमारतों में शानदार लकडियों का इस्‍तेमाल किया गया है। इस कब्रिस्‍तान मे मिश्र की शैली का भी पुरा प्रयोग किया गया है। इस कब्रगाह के लिए भी आया जिसके लिए इसका निर्माण किया गया था, पहली बार इस कब्रिस्‍तान में 26 मई 1839 को लिटील विंडमिल स्ट्रिट की एलिजाबेथ जैक्‍सन को दफनाया गया, और इसी के साथ सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है।

कब्रिस्‍तान में वैम्‍पायर्स

यह कब्रिस्‍तान बहुत ही बड़ा है और इसमें न जाने कितने लोग दफन है। जहां पर एक साथ जमीन में इतने लोग दफन होंगे वहां रूहों और आत्‍माओं का दिखना तो लाजमी ही होगा। इस कब्रिस्‍तान में भी बहुत सी ऐसी रूहे है जो गाहें बगाहें लोगों को दिख जाती है। कई बार लोगों को इसका आभास होता है और उनके साथ कोई हादसा हो जाता है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार वैमपायर्स को देखा गया है और उन्‍हे महसूस किया गया है। सबसे पहला मामला जो प्रकाश में आया था वो था सन 1970 में जब स्‍कूल की दो छात्राओं ने कब्रिस्‍तान के ए‍क किनारें एक वैम्‍पायर कों बैठा देखने का दावा किया था। उन दोनों छात्राओं का कहना था कि जब वो स्‍कूल से लौट रही थी और जब वो कब्रिस्‍तान के पास पहुंची तो उस समय शाम हो गयी थी और हल्‍का हल्‍का अंधेरा शुरू हो गया था। उसी समय उन्‍हे कुछ अजीब सी आवाज सुनायी दी जो कि कब्रिस्‍तान के तरफ से आ रही थी। उस समय जब उन्‍होने कब्रिस्‍तान की तरफ देखा तो वहां एक आदमी जैसा कोई बैठा और कब्र से शव को निकाल कर उनका खुन पी रहा था। इसके अलांवा इस हादसें के एक हफ्ते बाद ही एक और मामला प्रकाश में आया जहां एक प्रेमी जोड़ ने भी एक वैम्‍पायर को देखन की बात कहीं। उनका कहना था कि वो दोनों कब्रिस्‍तान के तीसरे गेट की तरफ से रात में गुजर रहे थे उसी वक्‍त उन्‍होने एक बहुत ही बड़े आदमी को देखा जो कि सामान्‍य लंबाई से बहुत ज्‍यादा था उसका चेहरा अंधेरे के कारण देख नहीं पाया गया लेकिन उसके चेहरे का आकार और बनावट मनुष्‍यों से अलग थी। उनका कहना था कि शायद उस अजीब से साये ने उन्‍हे देख लिया था और वो उन्‍ही के तरफ धिमें धिमें बढ रहा था। इतना देख दोनों वहां से भाग गये। इस तरह की कई घटनाए है जो कि हाईगेट कब्रिस्‍तान में देखने को मिली है। कई बार लोगों ने इस महसूस किया है। इस कब्रिस्‍तान से होकर जाने वाले सड़क पर कई बार लोगों की दुर्घटनाए भी हुयी है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार कब्रों से लाशों के गायब होने का भी मामला सामने आ चुका है। आज भी इस कब्रिस्‍तान में आसानी से रूहों और आत्‍माओं को महसूस किया जा सकता है।

Kaalo - A Witch

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Between the 11th and 18th century, witchery/witchcraft was practiced heavily in Europe, Africa and Asia

It has been found that over 46 thousand witches were killed during this period. Every incident had a story. One such incident had occurred in. Northern India in a village named Kulbhata. During 18th century, this village, surrounded by a desert, was tormented by a witch named Kaalo. Kaalo wanted to sacrifice nubile girls to satisfy her greed for immortality.

One day she was stoned to death and buried by angry villagers, but her fear lived on in and around Kulbhata. Years later some villagers spoke of Kaalo's sightings yet again. Kulbhata was vacated overnight by scared villagers. All roads leading to Kulbhata were sealed by horrifying tales of Kaalo killing anyone who dared to enter Kulbhata. It is said, Kaalo still roams in Kulbhata,  in a more ferocious form than before. And it is believed that since that incident no one has gone to Kulbhata.  250 years have since passed, but still Kaalo is present and hungry for more lives.  Anybody who dares  to pass through the village is killed.


The Haunted Hotel at Tequendama Falls, Bogotá River, Colombia

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Source : Wikipedia.org

Tequendama Falls (or Salto del Tequendama) is a major tourist attraction about 30 km southwest of Bogotá, the capital city of Colombia. The thousands of tourists who visit the area to admire the 157 metre (515 feet) tall waterfall and the surrounding nature, make a stop at another nearby landmark as well, the abandoned Hotel del Salto.

The luxurious Hotel del Salto opened in 1928 to welcome wealthy travelers visiting the Tequendama Falls area. Situated just opposite to the waterfall and on the edge of the cliff, it provided a breathtaking view to its guests. During the next decades though, Bogotá river was contaminated and tourists gradually lost their interest to the area. The hotel finally closed down in the early 90's and was left abandoned ever since. The fact that many people in the past chose that spot to commit suicide, made others believe that the hotel is haunted. Hotel del Salto has now been turned into a museum. 














स्क्रीमिंग टनल की खौफनाक कहानी

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Story Source : http://en.wikipedia.org/wiki/Screaming_Tunnel

आप मानें या ना मानें लेकिन दुनिया में कई ऐसी जगह हैं जहां रूहों, शैतानी ताकतों या फिर अन्य पारलौकिक शक्तियों का वास होता है. वह आपको डराकर वहां आने से रोकती भी हैं और अगर आप फिर भी वहां जाकर उनकी सत्ता को चुनौती देने की कोशिश करते हैं तो फिर वह आपके जीवन में ऐसा तूफान ले आती हैं कि किसी के भी होश उड़ जाएं.
रूहों और आत्माओं जैसे खौफनाक विषयों से लोग डरते तो हैं लेकिन इनके बारे में जानने के लिए भी बहुत उत्सुक भी होते हैं कि कैसे एक शरीर मरने के बाद भी आत्मा का रूप लेकर इंसानी दुनिया में विचरण कर सकता है? कैसे कोई इतना खौफनाक हो सकता है? मरने के बाद कोई कैसे किसी को नुकसान पहुंचा सकता है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका इंसानी मस्तिष्क में उठना कुछ हद तक स्वाभाविक है. आज हम आपको ऐसे ही एक स्थान की यात्रा पर ले जाएंगे जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां चीखती चिल्लाती आत्माएं रहती हैं.

स्क्रीमिंग टनल की खौफनाक कहानी

कनाडा के ओनटेरियो के नियाग्रा फॉल्स के पास स्थित इस टनल का नाम सुनते ही लोग कांपने लग जाते हैं. इस टनल का निर्माण सन 1900 में ग्रांड रेलवे लाइंस के ठीक नीचे किया गया था और इस टनल को बनाने का उद्देश्य उस इलाके के पानी के बहाव को पास ही स्थित खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाना था. 16 फीट ऊंची और 125 फीट लंबी इस टनल की कहानी किसी को भी हिला कर रख सकती है. टनल का निर्माण हुए काफी वक्त बीत गया था और सब कुछ बहुत आराम से और ठीकठाक चल रहा था. लेकिन अचानक एक दिन यहां एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया.

इस टनल के आसपास आबादी बहुत कम थी इसीलिए हर समय यहां पानी भी नहीं बहा करता था. जब पानी बहुत भर जाता था तो उस समय इस टनल का प्रयोग किया जाता था. इस टनल में यूं तो कई हादसे हुए लेकिन एक हादसा ऐसा था जिससे ओनटेरियो शहर आज तक उबर नहीं पाया है.

एक बार की बात है जब इस टनल में पानी का बहाव नहीं था, इस टनल के पास एक घर में बाप और बेटी रहा करते थे. हवा का रुख बहुत तेज था और चारों ओर सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था. लड़की घर में अकेली थी और पीछे वाले कमरे में सो रही थी कि अचानक उस घर में आग लग गई और देखते ही देखते आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया. लड़की ने घर से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन तब तक उसके कपड़ों को आग ने पकड़ लिया. खुद को बचाने के लिए वह टनल की तरफ भागी लेकिन टनल में भी उस समय पानी नहीं था. आग की जलन की वजह से वह चीखती चिलाती रही, उसकी चीख बहुत भयानक और दर्दनाक थी जिसे सुनकर कई लोग वहां इकट्ठा हो गए लेकिन किसी ने उस लड़की को नहीं बचाया और आखिरकार उस लड़की ने यहां दम तोड़ दिया.

इसके अलावा यहां एक और लड़की की ऐसे ही जलने के कारण मौत हुई थी. लोगों का कहना है कि इस टनल में कुछ दरिंदों ने एक लड़की का सामूहिक बलात्कार किया और अपने जुर्म को छिपाने के लिए उस लड़की को जिन्दा जला दिया. उसकी चीखें आसपास के इलाकों तक सुनाई दीं.

सुबह जब लोग उस टनल में पहुंचे तो लड़की का अधजला हुआ शरीर वहां पड़ा था और तब से लेकर आज तक वहां शरीर के जलने की वैसी ही बदबू आती है जैसी पहले आती थी.

रोशनी को देखकर परेशान करती हैं रूहें

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कोई उस स्थान पर रोशनी करता है तो उन लड़कियों की रूहें उसे परेशान करती हैं. कहते हैं एक सफाई कर्मचारी जब टनल की सफाई के लिए अंदर गया तो जैसे ही उसने माचिस जलाई तभी एक भयानक चीख उस टनल में गूंजने लगी और उस कर्मचारी ने अपने सिर के ठीक ऊपर दीवार पर एक छिपकली की तरह कुछ रेंगते देखा. उसका चेहरा जला हुआ था. इस घटना के बाद वह आदमी तो बच गया लेकिन उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया.

KINGAL SHIMLA ROAD

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Several People and visitors Reported That There Is Something Mysterious In That Road. Especially Late Night Around 2 A.M. There Are Some Strange And Unusual Light Effects By Unknown Spirit...!!

Shimla's Spooky Tunnel No. 103

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शिमला का कॉंवेंट ऑफ जीसेस एंड मैरी स्कूल

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इस स्कूल को हॉंटेड माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस स्कूल के लिए 13 तारीख का शुक्रवार मौत का पैगाम लेकर आता है. कहते हैं ब्रिटिश काल में यह स्थान एक अनाथालय हुआ करता था और रात के समय जब सब बच्चे सो रहे थे तो किसी ने उनके कमरे में आग लगा दी थी. इस घटना के बाद से लेकर अब तक वहां जली हुई रूहों को देखा जाता है. हालांकि अब उन बच्चों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए उस स्थान पर बच्चों के लिए झूले और अन्य जरूरी सामान रखा गया है लेकिन फिर भी कहा जाता है यहां एक लड़की जली हुई अवस्था में अध्यापकों और चपरासियों से गुड़िया और खिलौनों की मांग करती है.

शिमला का इन्दिरा मेडिकल अस्पताल

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अपनी बेपनाह खूबसूरती और प्रकृति के साथ करीबी के लिए मशहूर शिमला शहर हर रात एक ऐसी खौफनाक घटना का गवाह बनता है जिससे बच पाना कभी कभार मुश्किल जान पड़ने लगता है. शिमला के निवासियों को तो अब ऐसे माहौल में रहने  की आदत पड़ गई है. वह जब भी रात के समय घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें यही लगता है कि ना जाने अब उनके साथ क्या होगा. शिमला में ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां पारलौकिक ताकतों के होने का एहसास होता है, जहां हर रोज कुछ ना कुछ भयानक घटता ही है. यहां एक नहीं कई भूतहा स्थान हैं जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.

हिमाचल का सबसे बड़ा अस्पताल इन्दिरा मेडिकल अस्पताल शिमला में स्थित है लेकिन लोगों के बीच इस अस्पताल का इतना खौफ है कि उनका मानना है कि जो लोग इस अस्पताल से अपना इलाज करवाकर वापस आते हैं तो जल्द ही उनकी मृत्यु हो जाती है. लोगों का मानना है कि ठीक होकर वापस आने के बाद भी हर सप्ताह किसी ना किसी व्यक्ति की मृत्यु हो ही जाती है. ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की मौत इस अस्पताल में हुई थी उनकी रूहें आज भी इसी अस्पताल के अंदर डेरा जमाए हुए हैं, जिनकी काली छाया उस अस्पताल के मरीजों पर पड़ती है.
इस अस्पताल को श्रापित माना जाता है और यहां जितने भी लोग अपना इलाज करवाने आते हैं उन्हें हर समय किसी ना किसी के अपने आसपास होने का एहसास होता है जबकि वहां कोई दूसरा नहीं होता. शिमला के लोगों को अब यह यकीन हो चला है कि यहां कुछ ना कुछ ऐसा जरूर है जो सही नहीं है.
लोगों ने यहां अजीबोगरीब आवाजों को सुना है जो व्यक्तियों को उनके नाम से पुकारती हैं तो कभी कोई उन्हें धक्का देता है, सीढ़ियों के बीच उनका रास्ता रोक लेता है. लिफ्ट का फंसना और अचानक चलने लगना और साथ ही तीखी आवाजों में किसी का चीखना आदि जैसी घटनाएं अब आम हो चुकी हैं.

रात होते ही जाग जाते हैं डेथ वैली के पत्थर

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कभी-कभार कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं जिसके पीछे छिपे कारण को कोई समझ नहीं पाता. यह क्यों हुआ, किस वजह से हुआ यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब खोजना बहुत मुश्किल हो जाता है. वैसे तो विज्ञान कभी चमत्कार या ऐसी किसी भी घटना के होने पर विश्वास नहीं करता लेकिन कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका जवाब विज्ञान के भी पास नहीं होता.

डेथ वैली के नाम से बहुत कम लोग परिचित होंगे क्योंकि अभी इसके बारे में सिर्फ दबी जुबान से ही चर्चाएं होती रहीं लेकिन अब इस वैली का सच शायद बाहर आ रहा है क्योंकि अभी तक ‘नासा’ जो इस वैली और यहां मौजूद पत्थरों की पहेली को सुलझाने की बात कर रहा था वह भी अब अपने हाथ खड़े कर चुका है क्योंकि उसे भी यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर 700 पाउंड का पत्थर एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे जा सकता है जबकि वहां किसी और के होने का कोई सबूत नहीं है और ना ही वहां कुछ ऐसा है जो इतने भारी पत्थर को हिला पाने तक में सक्षम हो.

कैलिफोर्निया (अमेरिका) स्थित डेथ वैली के तैरते पत्थरों की कहानी लोग सदियों से कहते-सुनते आ रहे हैं लेकिन इन कहानियों पर किसी ने कभी यकीन नहीं किया. लोगों का कहना है कि इस वैली में स्थित पत्थर यहां तैरते हैं, वह अपने आप एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचते हैं क्योंकि इस वैली के भीतर कोई जादुई शक्ति है.

लेकिन चमत्कार की अवधारणा को सिरे से नकारने वाला विज्ञान एक बार फिर इस जगह के चमत्कारी होने जैसी बातों को मनगढंत मान रहा है. एक थ्योरी के तहत प्लेनेटरी साइंटिस्ट प्रोफेसर रॉल्फ लॉरेंज ने यह समझाने का प्रयास किया है कि किस तरह यह पत्थर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं. प्रोफेसर रॉल्फ का कहना है कि सर्दियों के मौसम में इस वैली के पत्थरों पर बर्फ जम जाती है और जब सर्दियों का मौसम जाते ही इन पत्थरों के ऊपर कीचड़ जम जाता है तो बर्फ छिप जाती है और बर्फ के आवरण से जमी चट्टानों को इस स्थान पर बहने वाली तेज हवा आगे की ओर धकेल देती है और देखने वाले को यह लगता है कि रेत में यह भारी भरकम पत्थर खुद तैरते हुए आगे बढ़ गए हैं, जबकि सच कुछ और ही है. प्रोफेसर रॉल्फ का कहना है कि जब किसी चट्टान के ऊपर बर्फ की चादर चढ़ जाती है तो उस चट्टान में मौजूद तरल पदार्थों का स्तर बदलते तापमान के साथ-साथ बदलता रहता है और चट्टान आगे पीछे होने लगती है जिससे यह अभास होता है कि यह चट्टान रेत में तैर रही है.

आपको यकीन नहीं होगा कि इस थ्योरी से पहले लोग इस चट्टान के बारे में बहुत कुछ बोलते थे. कोई कहता था कि इन चट्टानों में जादुई शक्तियां हैं तो कोई इस स्थान को एलियन या तंत्र-मंत्र से श्रापित मानता था. अब आपको हो सकता है इस बात पर हंसी आए लेकिन लोग इस स्थान पर मौजूद पत्थरों को अपने घर भी ले गए थे क्योंकि वह इन्हें चमत्कारी मानते थे. प्रोफेसर रॉल्फ के इस स्थान के रहस्य को साफ कर देने के बाद भी लोग इस स्थान पर एलियन और तंत्र विद्या की मौजूदगी को सही मानते हैं.

Changi Hospital

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Changi Hospital, situated on the small Barrack Hill along Netheravon Road, was a fascinating place with a long history, going all the way back to the mid-thirties as a small British military hospital called Royal Air Force Hospital.

The hospital was captured by the Japanese forces during World War II, and was used as a healthcare facility for the prisoners-of-war detained at the Changi military base nearby.

After the war, the British regained possession of the hospital. It was handed over to the Commonwealth forces in 1971 when the British started withdrawing their troops from an independent Singapore. The hospital was renamed as Anzuk Hospital, where the name Anzuk referred to the Australian, New Zealand and United Kingdom armed forces.

 As the Singapore Armed Forces (SAF) started to take shape in the early seventies, the Commonwealth forces withdrew gradually. In 1975, Singapore government took over the hospital and converted it to SAF Hospital, which provided medical, surgical and dental healthcare to the servicemen.

Just one year later, SAF Hospital was passed to the Ministry of Health (MOH), which opened it to the public. Combining with nearby Changi Chalet Hospital, the new healthcare center of the eastern side of Singapore, equipped with x-ray devices and emergency services, was now capable of taking care of 150 hospitalised patients.

As the hospital was situated on a hill, the healthcare personnel as well as the patients found it difficult to access various blocks (Block 24, 37 and 161) using the steep flights of stairs. Thus MOH decided to source for another better location. In 1997, the staffs of Changi Hospital were shifted to their new workplace in Simei. Combining with Toa Payoh Hospital, the new site was called Changi General Hospital.
For many years, Changi Hospital remained vacant and unattended. Shortly after its abandonment, it became one of the favourite spots in Singapore for ghost sighting. Haunted stories about the hospital spread like wild fire, but the sources were never confirmed.

In 2006, Singapore Land Authority (SLA) invited private investments to develop the hospital. Real estate company Bestway Properties won the contract to turn the historical site into a lifestyle haven of resorts, spas and restaurants. However, the plans never materialised, probably due to the 2008 financial crisis, and the site was returned to SLA in 2010. The forgotten hospital was vacated once more. (Click Here for Hindi Version)

कंकाल के रूप में 600 साल से तड़प रही हैं यह आत्माएं

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भारत वर्ष दुनियां के ऐतिहासिक राष्ट्रों में से एक है. इसका विस्तृत इतिहास बेहद रोमांचकारी और अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हुए है. पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक फैली भारत की सीमाओं के अंदर कई ऐसे राज हैं जो आज भी सुलझने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे ही कुछ राज छिपे हैं हिमालय की विशाल श्रृंखलाओं और गुफाओं में. इन गुफाओं में जितनी खोज की जाती है उतने ही राज सामने आते जाते हैं. हिमालय अपने सीने में अनेक रहस्यों को छिपाएं हुए है. जानकार इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल से ही यहां जिज्ञासुओं और पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता था. हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों के बीच बसा रूपकुंड भी ऐसे ही रहस्यों को समेटे हुए हैं, जिन्हें सुलझा पाना शायद किसी के लिए भी सरल नहीं है.

अभी तक बहुत से वैज्ञानिकों द्वारा रूपकुंड के रहस्यों को भेदने के दावे तो बहुत हुए हैं लेकिन कोई भी अभी तक वहां रखे नरकंकालों के रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाया है. दुर्गम होने के कारण वर्षों तक अज्ञात रहे इस कुंड में 500 से अधिक नरकंकाल बिखरे पड़े हैं. लेकिन बर्फीली झील के पास इतने सारे कंकाल किसके हैं, यह कोई नहीं समझ पा रहा है.

वन विभाग के पूर्व अधिकारी मढ़वाल वर्ष 1942-43 में दुर्लभ पुष्पों की खोज करते-करते यहां पहुंच गए थे लेकिन जब उन्होंने इतनी संख्या में नर कंकालों को देखा तो उन्हें लगा कि वह किसी दूसरे ही लोक में आ गए हैं. उनके साथी तो इस दृश्य को देखकर डरकर भाग गए.

वर्ष 1957 से 1961 तक यहां कई शोध परीक्षण किए जाते रहे. लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध नृवंशशास्त्री डॉ. डी.एन. मजूमदार ने भी 1957 में यहां से कुछ कंकालों के नमूने मानव शरीर विशेषज्ञ डॉ. गिफन को अमेरिका भेजे. रेडियो कार्बन विधि से परीक्षण करने पर डॉ. गिफन को ज्ञात हुआ कि यह कंकाल लगभग 400-600 वर्ष पुराने हैं.











इन कंकालों के पीछे की हकीकत तो कोई नहीं जानता लेकिन इनसे संबंधित एक पौराणिक मान्यता जरूर लोगों को चौंका रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार कन्नौज के राजा यशोधवल, सेना और अन्य साथियों के साथ नंदादेवी के दर्शन के लिए गए. उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र की पावन धार्मिक नियमों और सभी मर्यादाओं की उपेक्षा की. राजा अपनी गर्भवती रानी व दास-दासियों सहित तमाम लश्कर दल के साथ त्रिशूल पर्वत होते हुए नंदादेवी यात्रा मार्ग पर स्थित रूपकुंड में पहुंचे.

नंदादेवी के प्रकोप के कारण वहां अचानक भयंकर वर्षा के साथ ओले गिरने लगे. अन्य साथियों और सेना के साथ राजा का परिवार भी यहां फंस गया और उनकी जान चली गई. यह नरकंकाल उन्हीं के हैं.

जब इंसानी दुनिया में प्रवेश कर ले जिन्न

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धर्म चाहे कोई भी हो लेकिन सच यही है कि सभी धर्म अपने-अपने तरीके से पारलौकिक ताकतों में भरोसा करते हैं. ईश्वर, अल्लाह, जीसस आदि को तो सभी मानते हैं लेकिन जिस प्रकार सच्ची और अच्छी ताकतों का घेराव हमारे आसपास है वैसे ही कुछ बुरी ताकतें भी हर समय हमें नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहती हैं और हर धर्म में उन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में उन्हें आत्माएं, प्रेत और पिशाच, ईसाई डेविल या स्पिरिट और इस्लाम धर्म में जिन्नों के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है. भूत-प्रेत और आत्माओं के बारे में तो हम आपको कई बार बता चुके हैं लेकिन आज हम आपको जिन्नों के विषय में कुछ विशिष्ट जानकारियां प्रदान करने वाले हैं. इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग जरूर जिन्नों के विषय में बहुत हद तक जानकारी रखते होंगे लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो सभी को जाननी जरूरी है, जैसे:

1. जिन्न शब्द का अर्थ और इनका उद्भव: जिन्न अरबी भाषा से लिया गया शब्द है क्योंकि सबसे पहले जिन्नों के होने का एहसास अरबी देशों में ही हुआ था. इस शब्द का अर्थ अंग्रेजी भाषा के ही एंजेल्स की अवधारणा से मिलता-जुलता है जिसका अर्थ अलौकिक और ना दिखने वाली ताकत है. कुरान के अनुसार जिन्न का उद्भव हवाओं में से हुआ है, कह सकते हैं कि जिन्न नकारात्मक या सकारात्मक ऊपरी हवाओं से संबंधित है. इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार मरने के पश्चात इंसान जिन्न बन जाता है और अपनी किसी इच्छा को पूरी करने के 1000 से 8000 वर्षों बाद दुनिया को छोड़कर चला जाता है.

2. जिन्न के प्रकार: जानकारों के अनुसार जिन्न को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है. इन चारो ही तरह के जिन्न खतरनाक तो होते हैं लेकिन अलग-अलग तरीके से वह इंसानी दुनिया को प्रभावित करते हैं.

(क) मरीद: जिन्न की सबसे खतरनाक और ताकतवर प्रजाति है मरीद. आपने कई बार इन्हें किस्सों और कहानियों में सुना होगा. लोकप्रिय कहानी अलादीन का चिराग में भी इसी जिन्न को शामिल किया गया था. इन्हें समुद्र या फिर खुले पानी में पाया जा सकता है. यह हवा में उड़ते हुए भी देखे जा सकते हैं.

(ख) इफरित: इंसानी दुनिया जैसे ही इफरित जिन्नों की भी दुनिया होती है जिसमें महिला और पुरुष दोनों इफरित साथ रहते हैं. यह इंसानों को समझने की ताकत रखते हैं और बहुत ही जल्द इंसानों को अपना दोस्त बना लेते हैं. इफरित अच्छे भी होते हैं और बुरे भी लेकिन इन पर विश्वास करना घातक सिद्ध हो सकता है.

(ग) सिला: सिला प्रजाति में सिर्फ महिला जिन्न ही होती हैं जो देखने में बेहद आकर्षक और खूबसूरत होती हैं. इंसानी दुनिया में विचरण तो करती हैं लेकिन उनसे दूरी भी रखती हैं. सिला ज्यादा मात्रा में देखी नहीं जातीं लेकिन वह मानसिक तौर पर मजबूत और बहुत समझदार होती हैं.

(घ) घूल: इंसानी मांस खाने वाली यह प्रजाति बहुत खौफनाक होती हैं. यह कब्रिस्तान के आसपास ही रहते हैं. इनका व्यवहार क्रूर और शैतान से मिलता-जुलता है इसीलिए इंसानों के लिए यह बहुत भयावह होते हैं.

(ङ) वेताल: यह वैम्पायर होते हैं, इंसानों के खून पर ही जिंदा रहते हैं. विक्रम वेताल की कहानियों में इसी वेताल का जिक्र था. यह भविष्य देख सकते हैं और जब चाहे भूतकाल में भी जा सकते हैं.

दिल्‍ली की 5 सबसे डरावनी जगह

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दिल्‍ली कैंट
यह दिल्‍ली का बहुत ही हरा-भरा और सुंदर इलाका है। यहां के कई लोगों ने बताया है कि इस जगह पर उन्‍होंने एक सफेद रंग के लिबास में लड़की देखी है जो लोगों से लिफ्ट मांगती रहती है और जब वे उसे लिफ्ट देते हैं तो वह अपने आप ही गायब हो जाती है।

(For English Version)
http://realghostories.blogspot.in/2013/05/delhi-is-haunted.html





खूनी दरवाज़ा

इसका नाम ही बता रहा है कि यह जगह कितनी डरावनी होगी। खूनी दरवाजे का यह नाम तब पड़ा जब यहाँ मुग़ल सल्तनत के तीन शहज़ादों, बहादुरशाह ज़फ़र के बेटों मिर्ज़ा मुग़ल और किज़्र सुल्तान और पोते अबू बकर को ब्रिटिश जनरल विलियम हॉडसन ने नंगा कर के गोली मार कर हत्या कर दी थी। तो यदि आप विदेशी हैं तो इन तीनों की आत्‍माओं से बच के रहिये क्‍योंकि ये अपनी बेजत्‍ती का बदला लेने के लिये उत्‍सुक रहते हैं।




जमाली कमाली मस्‍जिद
जमाली कमाली कोई दो भूतों का नाम नहीं है, यह तो दो महान सूफी संतो के नाम हैं जिन्‍हें इस मस्‍जिद में दफनाया गया था। लोग कहते हैं कि रात के समय इस वीरान जगह पर कुछ जिन आते हैं जो कि लोगों के गाल पर थप्‍पड़ मारते हैं और फिर हवा उनके पीछे पड़ जाती है।







संजय वन
संजय वन दिल्‍ली का यह जंगल भी भूतों से नहीं बच पाया है। इस जंगल में बहुत से पुराने बरगद के पेड़ हैं इसलिये यहां पर आने वाल कई शिकारी बताते हैं कि उन्‍होंने एक औरत को सफेद कपड़ों में बरगद के पेड़ के पीछे छुपते हुए देखा है।









लोथियन सेमेट्री
लोथियन सेमेट्री यह इसाइयों का कब्रिस्‍तान है जहां पर कई तरह के भूतों की कहानियां प्रचलित है, जैसे सिर कटे हुए भूत की। बताया जाता है कि यह भूत अपने जमाने में एक जवान सिपाही था जिसकी प्रेमिका ने इसको ठुकरा दिया था जिस वजह से इसने अपना सिर काट लिया। अब यह भूत अमावस्‍या की रात में यहां ठहलता है।






जहां शिव दर्शन करता है अमर अश्वत्थामा

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असीरगढ़ का किला

भोर होने का सुंदर लेकिन रहस्यमयी नजारा...


सुनसान किले में रात का मंजर बेहद डरावना होता है...

यहाँ एक मजार भी है, लेकिन अब यहाँ कोई नहीं आता...


किले का तालाब भी अपने अंदर कई राज समेटे हुए है...

किले की खंडहर दिवारें, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं...

असीरगढ़ का किला

अब भी किले की हिफाजत करता है यह मजबूत दरवाजा...


 हिन्दू धर्म ग्रंथों में अनेक ऐसे दिव्य ऋषियों, देवताओं और पुरुषों के बारे में लिखा गया है, जो अमर हैं। इनकी मौजूदगी प्रत्यक्ष तो नहीं दिखाई देती। लेकिन ऐसे अनेक स्थान, मंदिर या ईमारतें है, जो इनकी अमरता का एहसास कराते हैं। इन दिव्य आत्माओं में एक है- महाभारतकालीन पात्र अश्वत्थामा, जो गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे।


चिरंजीव अश्वत्थामा की उपस्थिति का प्रमाण मिलता है - भारत में मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के समीप स्थित असीरगढ़ के किले में। सतपुड़ा पर्वत की गोद और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है असीरगढ़ का किला। इस क्षेत्र में ताप्ती और नर्मदा नदी का संगम भी है। यह प्राचीन समय में दक्षिण भारत जाने के द्वार के रुप में भी प्रसिद्ध था। लोक मान्यता है कि इस किले के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में अश्वत्थामा रोज शिव की उपासना और पूजा करते हैं। इसके सबूत के रुप में मंदिर में सुबह गुलाब के फूल और कुमकूम दिखाई देते है। माना जाता है कि अश्वत्थामा मंदिर के पास ही स्थित तालाब में स्नान करते हैं। उसके बाद शिव की आराधना करते हैं।


यह मंदिर बहुत पुराना है। किंतु यहां पर पहुंचने पर विशेष अध्यात्मिक अनुभव होता है। यहां तक पहुंचने के लिए रास्ता दुर्गम है। मंदिर चारों ओर खाई से घिरा है। जिसमें माना जाता है इस खाई में बने गुप्त रास्ते से ही अश्वत्थामा मंदिर में आते-जाते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करनी होती है। इस मंदिर को लेकर लोक जीवन में एक भय भी फैला है कि अगर कोई अश्वत्थामा को देख लेता है, तो उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। किंतु मंदिर के शिवलिंग के लिए धार्मिक आस्था है कि शिव के दर्शन से हर शिव भक्त लंबी उम्र पाने के साथ रोगमुक्त रहता है।


इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे करीबी स्थान बुरहानपुर है। जहां से लगभग २० किलोमीटर की दूरी पर असीरगढ़ किले में यह मंदिर स्थित है। यहां पहुंचना मन में अध्यात्म और रोमांच पैदा करता है। यह देश के सभी प्रमुख शहरों से आवागमन के साधनों से जुड़ा है। रेल मार्ग द्वारा खंडवा स्टेशन पहुंचकर भी यहां पहुंचा जा सकता है। 

रहस्यों से भरपूर है असीरगढ़ का किला...

असीरगढ़ क़िला बुरहानपुर से लगभग 20 किमी. की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ियों के शिखर पर समुद्र सतह से 750 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह क़िला आज भी अपने वैभवशाली अतीत की गुणगाथा का गान मुक्त कंठ से कर रहा है। इसकी तत्कालीन अपराजेयता स्वयं सिद्ध होती है। इसकी गणना विश्व विख्यात उन गिने चुने क़िलों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे।

इतिहास

इतिहासकारों ने इसका 'बाब-ए-दक्खन' (दक्षिण द्वार) और 'कलोद-ए-दक्खन' (दक्षिण की कुँजी) के नाम से उल्लेख किया है, क्योंकि इस क़िले पर विजय प्राप्त करने के पश्चात दक्षिण का द्वार खुल जाता था, और विजेता का सम्पूर्ण ख़ानदेश क्षेत्र पर अधिपत्य स्थापित हो जाता था। इस क़िले की स्थापना कब और किसने की यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता। इतिहासकार स्पष्ट एवं सही राय रखने में विवश रहे हैं। कुछ इतिहासकार इस क़िले का महाभारत के वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित करते हुए उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के 'गुप्तेश्वर  महादेव मंदिर' के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि, पर्वों के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में 'गुप्तेश्वर' की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं।

क़िले का नामकरण

कुछ इतिहासकार इसे रामायण काल का बताते हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार 'मोहम्मद कासिम' के कथनानुसार इसका 'आशा अहीर' नामक एक व्यक्ति ने निर्माण कराया था। आशा अहीर के पास हज़ारों की संख्या में पशु थे। उनकी सुरक्षा हेतु ऐसे ही सुरक्षित स्थान की आवश्यकता थी। कहते हैं, वह इस स्थान पर आठवीं शताब्दी में आया था। इस समय यहाँ हज़रत नोमान चिश्ती नाम के एक तेजस्वी सूफ़ी संत निवास करते थे। आशा अहीर उनके पास आदरपूर्वक उपस्थित हुआ और निवेदन किया कि उसके व परिवार की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करें, ताकि वह क़िले पर अपने परिवार सहित रह सके। इस तरह वह हज़रत नोमान की आज्ञा एवं आशीर्वाद पाकर, इस स्थान पर ईट मिट्टी, चूना और पत्थरों की दीवार बनाकर रहने लगा। इस तरह आशा अहीर के नाम से यह क़िला असीरगढ़ नाम से प्रसिद्ध हो गया।

चीखती सुनसान इमारतों का रहस्य (World's Most Haunted Places)

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शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसने अपने जीवन में तथाकथित वास्तविक भूतहा कहानी ना सुनी हो. अपने बड़े-बुजुर्गों या अन्य परिवारजनों से आपने कुछ ऐसे किस्से जरूर सुने होंगे जिन्हें सुनने के बाद आपके भीतर थोड़ी बहुत जिज्ञासा और अत्याधिक भय या दहशत पैदा हो गई होगी. कुछ विशेष स्थान भी ऐसे होते हैं जिन्हें आत्माओं का बसेरा माना जाता है, अभिभावक पहले ही अपने बच्चों को ऐसी जगहों से आगाह कर देते हैं. वैसे तो इस दुनियां में रहस्य और हॉरर से जुड़ी कहानियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यहां कई स्थान ऐसे भी हैं जो कहानियां नहीं बल्कि असल में रूहों और पिशाचों का निवास स्थान हैं.

बेरी पोमेरॉय का महल (टॉटनेस)
 बेरी पोमेरॉय का महल (टॉटनेस) – इस महल से जुड़ी कहावतों और कहानियों का संबंध चौदहवीं शताब्दी से है. ऐसा माना जाता है यहां दो बहुत लोकप्रिय महिलाओं, सफेद औरत और नीली औरत की आत्मा घूमती है. सफेद औरत मार्ग्रेट पोमेरॉय है. मार्ग्रेट की बहन उससे बहुत जलती थी. इसी जलन के कारण उसने मार्ग्रेट को कैद कर दिया था. कैद और भूख के कारण मार्ग्रेट की मृत्यु हो गई. वहीं नीली औरत कौन है यह अभी तक किसी को पता नहीं चला. लेकिन जो भी उस नीली औरत के पीछे जाता है वह कभी भी वापस नहीं आया.

डोमिनिकन हिल (फिलिपींस)
डोमिनिकन हिल (फिलिपींस) – लोगों का मानना है कि युद्ध के समय जो लोग मारे गए थे उनकी आत्माएं यहां भ्रमण करती हैं. वे घायल सैनिक या मरीज जो जीना चाहते थे वह आज भी इस स्थान पर रहते हैं. दरवाजों को जोर-जोर से खटखटाना, बर्तनों को तोड़ना और अजीब तरह से चिल्लाना यहां आत्माओं की पुष्टि करता है.





एडिनबर्ग का महल (स्कॉटलैंड
एडिनबर्ग का महल (स्कॉटलैंड) – इस मध्ययुगीन महल के विषय में प्रचलित कहानियां भी अत्याधिक भयानक हैं. देखने में यह महल बहुत खूबसूरत और आकर्षक है. इसके आसपास की जगह भी देखने में बहुत सुंदर है. लेकिन इस सुंदरता के बीच मृत लोगों की आवाजें और चीखें हैं. प्लेग और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय मरे लोगों की आत्माएं यहां घूमती हैं. कुछ लोग यहां कुत्तों की आत्माओं के होने की भी बात करते हैं.

मोंट क्रिस्टो (ऑस्ट्रेलिया)
मोंट क्रिस्टो (ऑस्ट्रेलिया) – ऑस्ट्रेलिया का यह स्थान बेहद खतरनाक है. लोगों का मानना है कि यहां एक महिला की आत्मा रहती है. पति के मृत्यु के पश्चात मिसेज क्रॉली नामक यह महिला 23 वर्ष में मात्र 2 बार अपने घर से बाहर निकली. आज यह अपने घर में किसी को भी घुसने नहीं देती. विशेषकर अपने कमरे में वह हमेशा अपनी मौजूदगी दर्ज करवाती है. लाइटों का अपने आप जलना और बंद हो जाना इस मकान की एक सामान्य निशानी है. कुछ लोगों का कहना है कि जैसे ही वह उस कमरे में गए उनकी सांस अपने आप बंद होने लगी. लेकिन कमरे से बाहर आने पर उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक हो गया.
एनशेंट रैम इन (इंगलैंड)
एनशेंट रैम इन (इंगलैंड) – कब्रिस्तान के ऊपर बनी यह इमारत पूरी तरह आत्माओं के कब्जे में है. यहां अजीब सी आवाजें हर समय सुनाई देती हैं. घर में बदबू के साथ-साथ असाधारण वस्तुएं भी मिलती रहती हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां हत्याएं होती थीं और बच्चों की बलि दी जाती थी.



स्क्रीमिंग टनल (ओंटारियो)

हाइगेट सिमिट्री (लंदन)
हाइगेट सिमिट्री (लंदन) – यह स्थान लंदन का सबसे कुख्यात भूतहा जगह है. यहां सर कटी आत्माएं घूमती हैं. यह एक बहुत सुंदर और आकर्षक स्थान है. यहां आने वाले लोग इसकी कलाकारी के भी कायल हो जाते हैं. कार्ल मार्क्स को भी यहीं दफनाया गया था.


 स्क्रीमिंग टनल (ओंटारियो) – स्क्रीमिंग टनल का रहस्य नायग्रा फॉल्स से संबंधित सभी कहानियों में सबसे ज्यादा भयानक है. यह टनल नायग्रा फॉल्स को टोरंटो से जोड़ती है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस टनल में एक जलती हुई लड़की की आत्मा घूमती है. रात के समय वह इस टनल में बैठती है और माचिस से खुद को जलाकर पूरी रात चिल्लाती है.




ओहिओ यूनिवर्सिटी (अमेरिका) – इस यूनिवर्सिटी के ज्यादातर परिसर हॉंटेड माने जाते हैं. ब्रिटिश सोसाइटी फॉर फिसिकल रिसर्च का कहना है कि ओहिओ यूनिवर्सिटी दुनियां के सबसे हॉरर स्थानों में से एक है. विल्सन हॉल एक लड़की, जिसे सब चुड़ैल मानते थे, के कारण बहुत प्रसिद्ध हुआ था. वह लड़की अपने खून से इस हॉल की दीवारों पर असाधारण और रहस्यमयी कहानियां लिखने के बाद मर गई. वहीं वॉशिंगटन हॉल के विषय में ऐसा माना जाता है कि यहां उन खिलाड़ियों की आत्माएं घूमती हैं जो एक हादसे के अंदर मारे गए थे. कभी-कभार उन्हें बास्केटबॉल खेलते भी सुना जा सकता है.

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